Wednesday, November 10, 2010

गुस्से कि नुमाइश से बचें

न्युओर्क निवासी डेविड जे पोलाय का कहना हैं कि जीवन जीने कि कला उन्होने एक टेक्सी ड्राइवर से सीखी हैं। बात तकरीबन सोलह साल पुरानी हैं जब वे टेक्सी से ग्रांड सेन्ट्रल स्टेशन कि तरफ रवाना हुए । वाहन पहुँचने के बाद पार्किंग कि खाली जगह पर जैसे ही टेक्सी ड्राइवर ने टेक्सी पार्क करनी चाही कि तभी एक काली काली कार तेजी से आकर टेक्सी के सामने आकर खड़ी हो गई। टेक्सी ड्राइवर ने तेजी से ब्रेक लगाया और टेक्सी घिसटते हुए कार से १ इंच कि दुरी पर रुक गई। उसके बाद क्या हुआ? दूसरी कार के चालक ने खिड़की से अपना मुह बाहर निकाला और मुड़कर टेक्सी ड्राइवर को गलिया देना शुरू कर दी । टेक्सी ड्राइवर ने मुस्कराते हुए उसका अभिवादन किया। यह सब देख राहे डेविड ने उससे पूछा, आपने ऐसा कुयों किया वो आदमी तुम्हारी टेक्सी को ठोंक देता और हमे अस्पताल पंहुचा सकता था। टेक्सी ड्राइवर ने जवाब दिया - में उसे क्या कहता , वो बेचारा परेशानियों से घिरा हुआ था। बहोत से लोग ऐसी परिस्थतियों से घिरे हुए हैं वे लोग ज़माने भार कि परेशानियाँ , निराशा, गुस्सा और हताशा सिर पर लेकर घूमते हैं। जब उनका गुस्सा सिर से ऊपर हो जाता हैं तब वे उसे उड़ेलने के लिए जगह ढून्ड्नें लगते हैं। और जब आप उनके सामने पड़ गए तो वो अप पर ही सारा कुछ उडेल देते हैं ।
जब कोई आपसे इस तरह पेश आये तो आप इस अपने दिल पर न लें । आप मुस्कुराकर, उसका अभिवादन कारकार आगे बढ़ जाएं । आप खुद को खुश पाएंगे, ये मेंरा दावा हैं, उस ड्राइवर ने जवाब दिया। अक्सर हम भी इसी तरह कि परेशानियाँ अपने सिर पर लेकर चलते हैं। और किसी का गुस्सा किसी पर निकालते हैं। घर-में, दफ्तर या रास्ते पर चलते -फिरते लोगों पर ? उस दिन के बाद डेविड ने प्रण किया कि वे आगे से किसी के साथ भी इस तरह पेश नहीं आयेंगे। कई बार मेने भी ऐसी परिस्थतियों का सामना किया हैं । लोग गुस्स्से से भरे हुए हैं।
वे लोग अपनी चिड़ उतारना चाहते हैं। टेक्सी ड्राइवर कि बात को ध्यान में रखकर मेने उन वाक्यों को प्रतिष्ठा का प्रश्न नहीं बनाया। मैंने उमुस्कुराकर उनका अभिवादन किया और शुक्रिया कहकर विदा हो गया। अछे अभिभावक जानते हैं कि स्कूल से लौटे बच्चों से किस तरह लाड और प्यार करना चाहिऐ। वरिष्ठ अधिकारी और अभिभावक अपने अधिनास्थों का पुरा ख्याल रखें। और उनके हित के बारे में सोचें।
फंडा यह हैं कि महान व्यक्ति कभी भी अपने गुस्से की नुमाइश नहीं करते। आप क्या सोचते हैं? क्यों न आज से ही आप इस मूल मन्त्र का अनुसरण करें । यदि आपका भी व्यक्तित्व इसी तरह का हैं तो खुद को बदल डालिए । में दावा करता हूँ कि आप खुश रहेंगे , ये मेरा दावा हैं।

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