Saturday, October 16, 2010

दहाई अंक में बढ़ा इंफोसिस का मुनाफा, रिकार्ड भर्तियां कीं

बेंगलुरू। वैश्विक मंदी के कारण बुरी तरह प्रभावित भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र को इंफोसिस की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) के नतीजों से तेज विकास का संकेत मिला है। दूसरी तिमाही कम्पनी के आय और मुनाफे में दहाई अंकों की दर से वृद्धि हुई है। दूसरी तिमाही के दौरान कम्पनी ने भारी मांग को पूरा करने के लिए 14,264 कर्मचारियों की रिकार्ड भर्तियां की और चालू वित्त वर्ष के लिए आय के अनुमान को एक बार फिर बढ़ा दिया। कम्पनी के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष में कम्पनी की आय पिछले साल के मुकाबले 19 प्रतिशत बढ़कर 270.58 अरब रूपये (27,058 करो़ड) रूपये होने का अनुमान है।
आय का यह अनुमान जुलाई में कम्पनी द्वारा जारी किए गए अनुमान से 1.7 प्रतिशत (कुल 267 अरब रूपये) ज्यादा है। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय नियमन तंत्र (आईएफआरएस) के तहत कम्पनी की आय में इस साल छह अरब डॉलर (25 प्रतिशत) की वृद्धि होने का अनुमान है। जुलाई महीने में यह अनुमान 5.8 अरब डॉलर जारी किया गया था। भारतीय लेखा मानकों के अनुरूप किए गए आंकलन में दूसरी तिमाही में जोरदार विकास दर्ज करते हुए कम्पनी का शुद्ध मुनाफा पिछले साल के मुकाबले 13.2 प्रतिशत बढ़कर 1,737 करो़ड रूपये (17.37 अरब रूपये) हो गया।
पिछली तिमाही के मुकाबले इसमें 16.7 प्रतिशत की दर से वृद्धि हुई। इसी तरह दूसरी तिमाही में कम्पनी की आय पिछले साल के मुकाबले 24.4 प्रतिशत और पिछली तिमाही के मुकाबले 12 प्रतिशत बढ़कर 6,947 करो़ड रूपये (69.47 अरब रूपये) हो गई। इंफोसिस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एस. गोपालकृष्णन ने कहा, ""आर्थिक माहौल हालांकि चुनौतीपूर्ण बना हुआ है लेकिन हमने अपनी ग्राहक संख्या, सेवाओं और निवेश में वृद्धि के जरिए दूसरी तिमाही में विकास की गति तेज की है।"" तीसरी तिमाही के लिए कम्पनी की आय पिछले साल के मुकाबले 21 प्रतिशत बढ़कर 6,919 करो़ड रूपये रहने का अनुमान लगाया गया है। आईएफआरएस के तहत तीसरी तिमाही में आय 26 प्रतिशत बढ़कर 1.6 अरब डॉलर होने का अनुमान है। दूसरी तिमाही में कम्पनी ने 27 नए ग्राहक जो़डे हैं। पहली तिमाही में 38 नए ग्राहक जो़डे गए थे। दूसरी तिमाही में कम्पनी के सक्रिय ग्राहकों की संख्या 592 हो गई। कृष्णन ने कहा, ""कई तिमाहियों के बाद एक बार फिर दोहरे अंकों में विकास दर प्राप्त करना एक टर्निंग प्वाइंट है क्योंकि आर्थिक मंदी के दौर में ज्यादातर लोगों का मानना था कि भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी उद्योग अब वापस तेजी से विकास नहीं कर पाएगा।"" उन्होंने कहा कि कई भारतीय सॉफ्टवेयर कम्पनियां अब वैश्विक हो गई हैं।
यह विस्तृत सेवाएं और परामर्श एवं व्यापारिक योजनाओं में सहयोग प्रदान कर रही हैं। इंफोसिस ने वित्त वर्ष 2010-11 की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितम्बर) में नौकरी छो़डने वालों की संख्या बढ़ने और विकास की गति तेज होने से मांग पूरी करने के लिए रिकार्ड भर्तियां की हैं। सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र की इस कम्पनी ने दूसरी तिमाही में 14,264 नए कर्मचारियों की भर्ती की लेकिन इसी तिमाही में 6,618 कर्मचारियों ने नौकरी छो़डी जिससे अतिरिक्त कर्मचारियों की संख्या 7,746 रह गई। नौकरी छो़डने वालों की दर इस तिमाही में 17.1 प्रतिशत रही है जो कि पिछली तिमाही में 15.8 प्रतिशत और पिछले साल की इसी तिमाही में 10.9 प्रतिशत थी। इंफोसिस के निदेशक मंडल के सदस्य और मानव संसाधन, शिक्षा एवं शोध विभाग के प्रमुख टी. वी. मोहनदास पई ने कहा, ""हमने इस (दूसरी) तिमाही में रिकार्ड भर्तियां की हैं।"" दूसरी ओर रूपये की मजबूती के कारण मुनाफे पर दबाव से चिंतित इस कम्पनी ने विनिमय दर में उतार-चढ़ाव पर नियंत्रण के लिए विदेशी पूंजी प्रवाह के नियमन हेतु भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) से हस्तक्षेप की मांग की है।
इंफोसिस के मुख्य वित्तीय अधिकारी वी. बालाकृष्णन ने पत्रकारों से कहा, ""विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा बिना किसी ठोस आधार के हो रहे भारी पूंजी प्रवाह को रोकने के लिए आरबीआई को हस्तक्षेप करना चाहिए। रूपया 10-15 प्रतिशत मजबूत हो चुका है।"" उन्होंने कहा कि भारी मात्रा में बिना किसी ठोस आधार के देश में हो रहे पूंजी प्रवाह से निर्यात क्षेत्र खासकर सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर गंभीर प्रभाव प़ड रहा है। पिछले छह महीनों में देश में एफआईआई ने 22 अरब डॉलर का निवेश किया है।

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